"नागपंचमी की कहानी" आखिर क्यों करते हैं नागदेवताओं कि इस दिन पूजा??



"नागपंचमी की कहानी"
 आखिर क्यों होती है इस दिन नागदेवताओं (सर्पों) की पूजा??
By Sandhya jha

नागपंचमी इस वर्ष २०२० में नागपंचमी का त्यौहार दिनांक 25 जुलाई 2020 शनिवार को है ।नागपंचमी का त्यौहार सावन माह की शुक्ल पक्ष की तिथि पंचमी को मनाते हैं।यह त्यौहार मुख्य रूप से हिंदुओं का त्यौहार है।
इस दिन महिलाएं नागदेवताओं की पूजा करती हैं
और कई जगह सर्पों को दूध से नहलाकर उन्हें किसी बर्तन या मिटटी के कुल्हड़ में दूध रख देतीं है ताकि नाग दूध को पी सके।

नागपंचमी की कथा
प्राचीन काल में एक व्यवसायी सेठ के सात पुत्र थे
सातों पुत्र के विवाह हो चूके थे जिनमें सभी पुत्र बधू पुर्णतः घरपरिवार से सुख समृद्ध थीं
वहीं उनमें छोटी पुत्र बधू बहुत ही श्रेष्ठ सुन्दर सुशील और गुणी थी 
किन्तु उसके यहाँ भाई नहीं था
जिसके चलते वह बहुत उदास रहती थी।

एक दिन बड़ी वहू ने घर लीपने हेतु सभी बहूओं से गहरु मिट्टी खोदकर लाने के लिए साथ चलने को कहा ।
अब सभी बहू मिटटी खोदने के लिए (खुरपी डलिया)ले कर चल दी।
इसके पश्चात् वहाँ पहुँचने पर सभी खुदाई करने लगीं
तत्पश्चात बड़ी बहू जहां खोद रही थी 
वहाँ एक सर्प निकला ,जिसे देख बड़ी बहू उस सर्प को खुरपी से मारने लगी।
यह देख छोटी बहू ने बड़ी बहू को रोकते हुए कहा-  रुकिये, मत मारो इसे? यह तो बेचारा निरपराध है ।
यह सुनकर बड़ी बहु ने उसे नहीं मारा और वह दूर हट गई
इसके बाद वह सर्प वहाँ से हटकर दूसरी ओर जा कर एक किनारे से बैठ गया
तभी छोटी बहू ने उस सर्प से कहा- हम अभी लौट कर आतें हैं।तुम यहाँ से कहीं मत जाना। ऐसा कहकर वह सबके साथ मिटटी लेकर घर चली गई।
 घर पहुंचते ही वह अन्य कामों में व्यस्त होकर सर्प से किया हुआ वादा भूल गई।
दूसरे दिन जब उसे अपना किया हुआ सर्प से वादा याद आया तब वह दूध का कटोरा लेकर भागी भागी वहाँ पहुँची।
उसने देखा की सर्प उसके कहे अनुसार वहाँ बैठा हुआ था।
सर्प उसे देख कर क्रोध में था।
ततपश्चात उसने सर्प से कहा- भाई मैं आपसे क्षमा मांगती हूँ आपसे वादा करके  काम की व्यस्तता में भूल गई लेकिन जैसे ही मुझे याद आया में आगई।
जैसे ही सर्प ने उसके मुख से भाई सुना उसका क्रोध शांत हो गया 
और कहा सावन माह के चलते अब तू मुझे भाई कह चुकी है तो तुझे क्षमा करता हूँ इसके विपरीत अगर कोई और होता तो में डस लेता।
ततपश्चात सर्प ने खुश होकर कहा की मांग तुझे क्या चाहिये।
तब छोटी बहू ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिये मुझे तुम भाई के रूप में मिल गए वही मेरी ख़ुशी है क्योंकि मेरा भाई नहीं है।
इसके बाद वह घर आगई।
कुछ दिन बीत जाने पर सेठ जी की सभी बहू अपने अपने मायके चली जाती हैं।
यह देख छोटी बहू निराश हो जाती है कि उसके तो मायके पक्ष में कोई नहीं है तो वो कहा जाये।
थोड़ी देर बाद सेठ जी के द्वारे एक आदमी दस्तक देता है। और कहता है में आपकी छोटी बहू का भाई हूँ उसे लेने आया हूँ यह सुन सभी सोच में पड़ गये की इसका तो कोई नहीं पर ये कहा से आया है
तब वह आदमी  समझावुझा कर सेठ जी को मनाता है 
और अपनी बहन को लेकर चल देता है 
तभी रस्ते में वह बोलता है कि तुम चिंतित मत हो में तुम्हारा वाही सर्प भाई हूँ जिसे तुमने भाई बनाया था।
तुम निराश थी इसलिए मैं तुम्हे लेने मनुष्य का वेश धारण करके आगया ।
अब तुम मेरे साथ नागलोक चलो जहाँ मेरा परिवार है
अब तुम मेरी पूंछ पकडलेना तो हम नागलोक पहुच जायें

नागलोक पहुचने पर उसने सभी से मिलवाया मां से भी मिलवाया सभी लोग बहुत बहिन से मिलकर खुश थे
  सर्प की मां रोज अपने सभी बच्चों रोज दूध ठंडा कर पतीले में रख देती और रोज की तरह वह एक घंटी की आवाज बजा देती जिससे  सभी बच्चे भाग कर दूध पीने आजाते थे। यह देख बहन बहुत खुश होती थी । एक दिन सर्प की मां को किसी काम हेतु कहीं जाना था  तो   बहन बोली मां आज मैं इनको दूध रख दूंगी तब मां बोली ठीक है रोज की तरह तुम दूध ठंडा करके पतीले में रख देना तब घंटी की आवाज करना लेकिन बहन ने दूध पतीले में  बिना ठंडे किए रख कर घंटी की आवाज बजा दी सभी बच्चे भागे हुए आकर वह दूध पीने लगे तो उसके भाई सहित अन्य  सर्प भाइयों के भी फन जल गए ।
जिसे देख माँ को क्रोध हुआ लेकिन सर्प भाई ने माँ को समझ दिया भूल से हो गया तब माँ समझ गई।
कुछ दिन बाद जब बहन के घर वापस आने का समय हुआ तो भाई ने उसे सम्मान के साथ उसकी विदाई में हीरे जवाहरात और बहुत कीमती गहने के साथ विदा किया।
जब वह अपने घर वापस आए यह देख सभी बड़ी  बहू को आश्चर्य हुआ कि इसे इतना धन और गहने कैसे मिल गए गहने और वस्तुओं को देख बड़ी बहू ने कहा जब तुम्हारे भाई ने इतनी सभी वस्तुएं सोने की दी हैं तो इन्हें साफ करने के लिए 
एक सोने की झाड़ू भी दे देते यह सुन भाई ने सोने की झाड़ू भी भेज दी यह देख कर बड़ी बहू और भी सोच में पड़ गई झाड़ू के साथ-साथ भाई ने बहन को एक गले का हार भेंट किया जो की हीरो से जुड़ा हुआ था जिसकी सुंदरता और चमक देख सभी गांव वाले और यहां तक की इस हार की चर्चा पूरे गांव भर में हो रही थी हार की  चर्चा यहां तक की राजा और रानी तक भी पहुंच गई तभी रानी को उस हार के बारे में जैसे ही पता चला उन्होंने अपने सैनिक को कहा कि मुझे अभी के अभी वह हार चाहिए वह एक अद्भुत हार है  जीत हार की चर्चा पूरे गांव भर में हो वह हार रानी के पास होना चाहिए यह कहकर सैनिक को भेजकर उन्होंने वह हार अपने पास मंगवा लिया जब नानी ने हार मंगवाया तो छोटी बहू को वह बात अच्छी नहीं लगी क्योंकि वह हार उसके भाई ने उसको दिया था तभी वह मन ही मन अपने भाई को याद करने लगी और कहने लगी कि  की भाई कुछ ऐसा चमत्कार करो कि वह हार सिर्फ मेरे गले में रहे तब हीरे का हार बना रहे यदि उसे कोई और पहने तो वह सर्प बन जाए।
 हुआ भी ऐसा ही जैसे ही रानी ने वह हार अपने गले में डाला वैसे ही वह हार सर्प बन गया रानी डर से सीख गई और वह हार झट से उतार दिया यह देख राजा ने छोटी बहू के ससुर सेठ जी को बुलाया कि यह क्या जादू है जो इस हार के चर्चे गांव गांव तक हो रहे हैं और ऐसे महारानी के पहनने पर यह सर्प बन गया तब यह सुनकर सेठ जी ने अपनी छोटी बहू को बुलवाया उससे पूछा गया कि यह क्या है सच-सच बताओ यह हार है या कोई जादू तुम्हें यह हार कैसे मिला तब छोटी बहु ने सारी बात बताएं यह हार मुझे मेरे सर्प भाई ने दिया है छोटी बहू बोली- राजन ! धृष्टता क्षमा कीजिए, यह हार ही ऐसा है कि मेरे गले में हीरों और मणियों का रहता है और दूसरे के गले में सर्प बन जाता है। यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर कहा- अभी पहिनकर दिखाओ। छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही हीरों-मणियों का हो गया।

यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया और उसने प्रसन्न होकर उसे बहुत सी मुद्राएं भी पुरस्कार में दीं। छोटी वह अपने हार और इन सहित घर लौट आई

उसके धन को देखकर बड़ी बहू ने ईर्षा के कारण उसके पति को सिखाया कि छोटी बहू के पास कहीं से धन आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक-ठीक बता कि यह धन तुझे कौन देता है? तब वह सर्प को याद करने लगी।

तब उसी समय सर्प ने प्रकट होकर कहा- यदि मेरी धर्म बहिन के आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो मैं उसे खा लूँगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है और स्त्रियाँ सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।

इस प्रकार यह नागपंचमी का त्यौहार पुरेदेशभर में सभी महिलाएं भाई के रूप में नागदेवता की पूजा करके मना ती हैं।

पुरानो के अनुसार इस दिन सिर्फ सर्प को दूध से नहलाया जाता है।किंतु अधिक जगह नहलाने के बजाय उसे दूध पिलाते हैं।





टिप्पणियाँ