रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएँ (जानें रक्षाबंधन कब से और क्यों मनाते हैं)


श्री कृष्णा को कब से बांधी जाती है राखी???

(जाने कब से यह राखी का त्यौहार बनाया जाता है)

By Sandhya jha



 रक्षाबंधन प्रमुख रूप से हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है जो वर्ष भर में 1 साल मैं एक बार आता है रक्षाबंधन सावन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इस वर्ष 2020 में रक्षाबंधन 3अगस्त सोमवार को है।

  रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार को दर्शाता है रक्षाबंधन  2 शब्दों से बनाएं नक्शा और बंधन रक्षा मतलब सुरक्षा बंधन मतलब बांधना इस प्रकार रक्षाबंधन सुरक्षा का बंधन है 

बहन अपने भाई को रेशम की डोर बाँध कर उससे अपनी रक्षा की कामना करती है।

कई जगह राखी की डोर रक्षा का सूत्र मानते हुए  सिर्फ भाई को ही नही बल्कि अपने से बड़े को भी बांधी जाती है

 पौराणिक कथाएं


हिंदी पैराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन सबसे पहले लक्ष्मी जी के द्वारा राजा बलि को राखी बाँधी तब से राखी का त्यौहार मनाया जाने लगा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा बलि ने देवताओं के स्वर्ग को जीतने के लिए 100 यज्ञ कर रहा था इसे देख देवराज इंद्र 
भगवन विष्णु के पास गए और प्रार्थना करी और इस पुरे वाक्य को बताया।
तब श्री हरि विष्णु जी ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के पास एक भिक्षुक ब्राहम्मण बन कर गए
और राजा बलि से वामन भगवान ने दान में 3 पग भूमि मांगी
जिसे राजा बलि ने सोचा छोटा सा ब्राह्मण है 3 पग में कितनी 
भूमि आयेगी और वचन दे दियाऔर शर्त रखी की अगर में आपकी इच्छा पूरी कर पाउँगा तो में जो भी मांगूगा आपको देंना पड़ेग।
जैसे ही राजा बलि ने वचन दिया वैसे ही श्री हरि ने वामन 
अवतार में अपना कद बढ़ाना शुरू करदिया 
इसके पश्चात पहले पग में पूरी पृथ्वी को नाप लिया और 
दूसरे पग में पूरा ब्रह्माण्ड नाप लिया 
राजा चिंतित होने लगे की ये क्या हो रहा है
अब 3 पग के लिए कुछ शेष न रहा 
तब राजा बलि ने अनुमान लगाया कि यह कोई साधारण ब्राहम्ण नही है।
भगवन वामन ने कहा तीसरा पग कहाँ रखू यह सुनकर राजा बलि ने अपना सर झुका लिया तीसरा पग रखने के लिए।
जैसे ही राजा बलि ने सर झुकाया श्री हरि प्रसन्न हो गये। 
और खुश होकर कहा  तुम्हें क्या वरदान  चाहिए।
तब राजा बलि ने वामन भगवन को सदैव अपने साथ रहने को कहा कि आप मेरे साथ सदैव मेरे द्वार पाल बनकर रहें ।
इस प्रकार भगवान राजा बलि के साथ चले गए।
इधर लक्ष्मी जी चिंतित हो गई की श्री हरि कहाँ चले गए 
तब नारद जी ने माता लक्ष्मी जी को पूरा वाक्य सुनाया
और कहा कि श्री हरि तो राजा बलि के पहरे दार बने दरवाजे पर पहरा दे रहे हैं।
अब माता लक्ष्मी जी ने नारद जी से कहा कि अब में क्या करूँ उन्हें वापस कैसे लाऊ।
तब नारद जी ने माता को सलाह देते हुए कहा-  की माता अभी श्रावण माह चल रहा है क्यूँ न आप एसा करो रेशम की डोर ले जा कर आप राजा बलि की कलाई में बाँध कर उन्हें भाई बनालो ।
अब लक्ष्मी जी ने ठीक वैसा ही किया।
श्रावण मास की पुर्निमा के दिन माता लक्ष्मी राजा बली के महल पहुंची और भैया भैया कहकर पुकारते हुए राजा बलि के पास पहुंची।
राजा बलि सोच में पड़ गए की ये कोण सी बहन आई है पहले कभी नही भेंट नही हुई।
राजा बलि ने सम्मान के साथ लक्ष्मी जी से कहा बहन में पहले कभी तुम्हें देखा तो नही पर तुम कोण हो।
तब लक्ष्मी जी ने कहा आज श्रावण मास की पूर्णिमा है
मेरा कोई भाई नही है आज में आपको ये रेशम की डोर बांध कर आपको अपना धर्म का भाई बनाना चाहती हूँ।
राजा बलि ने कहा ठीक है बहन आज से तुम मेरी धर्म की बहन हो में सदैव तुमहारी रक्षा करूँगा बताओ बहन तुम्हें उपहार में क्या चाहिए 
तभी लक्ष्मी जी ने कहा- भैया मुझे उपहार में आपके द्वारे पर जो पहरेदार पहरा दे रहे है वही चाहिये ।
राजा बलि सोच में पड़ गए की ये कैसा उपहार है 
बोले बहन तुम्हें ये पहरेदार उपहार में चाहिए 
माता लक्ष्मी बोली हाँ भैया 
तब राजा बलि समझ गए की हो न हो ये कोई साधारण नही है।राजा बलि ने फिर वामन अवतार से प्रार्थना की कि आप  अपने असली रूप में आयें और मुझे अपने दर्शन दे।
तब भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी अपने रूप में राजा बलि को दर्शन दिए ।
तब राजा बलि ने भगवान विष्णु और माता से माफ़ी मांगी और उन्हें विष्णु जी को सोंप दिया।
इस प्रकार रक्षाबंधन लक्ष्मी जी के द्वारा राजा बलि को डोर बंधने की दिन से यह राखी का त्योहार बनाया जाने लगा।


श्री कृष्णा को कब से बाँधी जाती है राखी??

रक्षाबंधन का त्यौहार महाभारत के समय में भी श्री कृष्ण को राखी बांधी जाती है।आइये जानते है क्या संवाद हुआ ।

महाभारत युग में श्री कृष्ण द्वारा शिशुपाल का वध करने पर जब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र छोड़ा तो उनकी अँगुली से रक्त बहने लगा ।
रक्त बहते देख उस घाव पर कुछ कपड़ा बांधने के लिए 
सभी सेनापति और प्रजा इधर उधर किसी भागने लगे।
लेकिन वहीं एक तरफ द्रोपदी ने देखा की श्री कृष्णा के ऊँगली से रक्त बह रहा है तो उन्होंने अपनी साड़ी से एक चिन्दी फाड़कर श्री कृष्णा के ऊँगली पर बाँध दी।
जिससे रक्त बहना बंद हो गया।तब श्री कृष्ण ने धन्यवाद करते हुए कहा कि तुमने मेरी पीड़ा में मेरी सहायता की  अब से में जब भी तुम किसी मुसीबत में होगी में तुम्हारी रक्षा करूँगा।उस दिन सावन मास की पूर्णिमा थी।

कुछ समय पश्चात जब कौरवों ने पूरे राज्य के सामने द्रोपदी 
की साड़ी खीचने का प्रयत्न कर उसका चीर हरण करने की कोशिश की तब श्री कृष्ण ने द्रोपदी की सहायता कर अपना वादा पूरा किया था।
इस प्रकार श्री कृष्ण को द्रोपदी द्वारा बांधा गया कपड़ा रक्षा का सूत्र का नाम दिया गया तब से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।

विधि











*रक्षाबंधन के दिन भाई बहन सुबह सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान की पूजा करें।

*इसके पश्चात रोली,कुमकुम, अक्षत, फूल ,मिठाई ,नारियल,चावल ,राखी ,रुमाल और दीप जलायें  और थाल सजाएं।

*पूर्व दिशा की ओर एक पटा रखें उस पर अपने भाई को बिठा कर हल्दी कुमकुम से टीका करें चावल लगाएं।
उसके पश्चात अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे और मिठाई खिलाएं ।
इसके पश्चात भाई को नारियल पर रुमाल रख कर भाई को भेंट दे और उससे सदैव किसी भी मुसीबत आने पर 
अपनी रक्षा करने की कामना करें।

*इसके पश्चात भाई अपनी बहन के पैर छू कर उसका आशीर्वाद ले और उसकी हर मुसीबत में साथ निभाने और हमेशा उसकी सुरक्षा करने का वादा करे।


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रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्यार का बंधन है जो हमेशा भाई बहन के प्यार को दर्शाता है।
इस दिन कई जगह अलग अलग तरह के त्यौहार भी बनाये जाते हैं।


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